मेक इन इंडिया; भारत में स्वदेशी आन्दोलन की तर्ज पर बनायी गयी एक योजना है. इसे भारत सरकार ने 25 सितंबर 2014 को शुरू किया था. इस योजना का मुख्य उद्येश्य भारत में विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देना या पूरे विश्व में भारत को विनिर्माण क्षेत्र की महाशक्ति बनाना है. इस योजना में अर्थव्यवस्था के 25 विशिष्ट क्षेत्रों को ध्यान में रखकर विदेशी कंपनियों को भारत में निर्माण गतिविधियों को शुरू करने के लिए प्रोत्साहन दिया जायेगा.
इस योजना का सबसे बड़ा उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में परिवर्तित करना है. इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार विदेशी कंपनियों को भारत में आकर निर्माण कार्य करने के लिए आमंत्रित करेगी.
देश में विदेशी निर्माताओं को आमंत्रित करने के लिए, भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों में 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी है.
वर्तमान नीति के अनुसार, मीडिया (26%), रक्षा (49%) और अंतरिक्ष (74%) को छोड़कर "मेक इन इंडिया" योजना में शामिल सभी 25 क्षेत्रों में 100% एफडीआई की अनुमति है.
"मेक इन इंडिया" योजना में शामिल क्षेत्रों की सूची इस प्रकार है;
क्र. सं. क्षेत्र
1. ऑटोमोबाइल
2. ऑटो पार्ट्स
3. विमानन
4. जैव प्रौद्योगिकी
5. रसायन
6. निर्माण
7. रक्षा निर्माण
8. विद्युत मशीनरी
9. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण
10. खाद्य प्रसंस्करण
11. आईटी और बीपीएम
12. चमड़ा
13. मीडिया और मनोरंजन
14. खनिज
15. तेल और गैस
16. फार्मास्यूटिकल्स
17. बंदरगाह
18. रेलवे
19. नवीकरणीय ऊर्जा
20. सड़कें और राजमार्ग
21. अंतरिक्ष
22. कपड़ा
23. तापीय उर्जा
24. पर्यटन और आतिथ्य
25. कल्याण
वर्तमान में विनिर्माण क्षेत्र भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16% योगदान दे रहा है लेकिन भारत सरकार 2022 तक इसे 25% करना चाहती है. यहां यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि विनिर्माण क्षेत्र चीनी सकल घरेलू उत्पाद में 34% हिस्सेदारी का योगदान दे रहा है.
निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि “मेक इन इंडिया” भारत सरकार की एक बहुत अच्छी योजना है. यदि यह योजना सफल हो जाती है तो भारत एक आयात करने वाली अर्थव्यवस्था के स्थान पर निर्यात करने वाली अर्थव्यवस्था बन जाएगी.